Sunday 30 October 2011

किसी को हम बुरा

किसी  को  हम  बुरा  कहते  किसी  को  अच्छा  कहते हैं  /
नजर   का  फेर  है   केवल   नजरिया  अपना   अपना है  /

जमानें  भर  की  खुशियाँ  हैं  मिरे  छोटे  से  इस  घर  मैं  /
वो  हैं   बेचैन   महलों    मैं   नजरिया   अपना  अपना  है  /

कहानी   मेरी  खुशियों  की   उन्हें   झूटी  सी   लगती है  /
गिला  हम  भी  नहीं  करते  नजरिया  अपना अपना है  /

हदें  जब  पार  ही  कर  ली  तो  समझाना   भला  कैसा  /
यहाँ  दुनिया  में  जीने  का  नजरिया  अपना  अपना है  /

क़यामत   है   इनायत   है   इबादत   है    मोहोब्बत  ये  /
इसे   महसूस  करने   का   नजरिया   अपना  अपना है  /

कभी   हम   गीत   गाते  है   गजल   भी  गुनगुनाते  है  /
खुसी  इजहार  करने  का  नजरिया  अपना  अपना है  /

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